कितना साथ देती है
हंसते हुए चेहरे से हंसना
रोते हुए चेहरे में
खुद को वैसा बना लेना,
क्रोध भी हो तो,
साथ-साथ रहना
हर्ष के माहौल में
शालीनता के भाव
के साथ रहना
कितना अजीब है
कोई…….
अंधेरे में भी आपके साथ सोये
और भोर की पहली किरण
के साथ जाग जाए
उसी तरह तेरीे यादों की छाया
मेरे साथ रहती है
कहती नही कुछ…….
सुनती नही कुछ…….
बस ,
साथ रहती है…..
मुझमें वो मेरा
‘अक्स’सहती है।।।।
राकेश कैत ‘राज’
कुरूक्षेत्र
कुरूक्षेत्र
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