आज आसमान से तारे जमीं पे उतरे है
चांद भी शरमा के
कन्दीलों में रोशन हो गये,
हवाओं के बदल गए मिजाज़
लगी ज़िन्दगी झिलमिलाने
महकने लगा है समां
जमीं भी लगी मुस्कुराने
आभा छिटक रही
रात लगी चमचमाने।
दीपक जलाएं रखना
उजाला बनाए रखना
मिट्टी के खरीद कर दिये,
गरीब की झोपड़ी में
चिराग़ जलाए रखना।
बांट कर मिठाई
मज़लूमों की ज़िन्दगी में
मिठास भरते रहना।
दीपावली की रात है
सबकी झोली
खुशियों से भर देना
न रहे कोई गमगीन
आज वसीयत ऐसी लिख देना।
ईद हो या दिवाली
मेरे राम तू सबके मन में
प्रेम प्यार सद्भाव भर देना।
आनंद से सबके आंगन भर देना
धरती को जगमग कर देना।
कुंती नवल
नवी मुंबई
बेलापुर।
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