उपहार  

घने अंधेरे में एक लौ
झिलमिलाने लगी थी,
तुम उसे 🔥 आग का दरिया समझ बैठे।
घुटती सांसों को
हवा का एक
झोंका दिया हमने,
तुम उन हवाओं को तूफान समझ बैठे।
प्यास बुझाने को
झमझमाता
झरना दिया हमने,
झरने की तेज़ धार को,तुम सुनामी समझ बैठे।
अंधेरों से निकल कर,
गहरी सांस तो ले लो।
झरने की रिमझिम
फुहार तो ले लो।
मिलेगा आंनद जीवन में,
बांहे फ़ैला कर ये संसार तो ले लो।
भरा है प्यार जीवन में,
मुस्करा कर
ये उपहार तो ले लो।

कुंती नवल
नवीं मुंबई

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