कितना सकून था – kitana sukun tha कितना सकून था पिता के आंगन और मां के दामन में स्कूल की पढ़ाई में, भाई – बहन और दोस्तों से लड़ाई में ।वक्त तो बड़ा जालिम होता है जनाब बचपन की यादों में पंहुचा दिया, बुढ़ापे की तन्हाई ने ॥ अज्ञात Share Onain Drive You Might Also Like मोहब्बत और मुक्क्दर दर्द जो दिल मे छुपाती चली गई विश्वास एक अटूट बंधन – vishvaas ek attut bandhn