घुँघराले केश काले, कानों के कर्णफूल,
कृष्ण को निहारने की कामना कराते हैं !
काज़ल की कोठरी से कारे-कारे नैन नित,
नज़रों में न्यारी- न्यारी भावना जगाते हैं !
साँवले सलौने तेरे रूप रंग न्यारे प्यारे,
सकल कलाओं सँग साधना कराते हैं !
पूतना का दूध पीके, तृप्त किया पूतना को,
कंस जैसे दानवों से याचना कराते हैं !!
कवि समोद चरौरा
फरीदाबाद
9999266269
[siteorigin_widget class=”TheChampSharingWidget”][/siteorigin_widget]
[siteorigin_widget class=”SiteOrigin_Widget_Headline_Widget”][/siteorigin_widget]
[siteorigin_widget class=”categoryPosts\\Widget”][/siteorigin_widget]