युवा देश की शान है,पहचान है, भविष्य है, देश का निर्माण ही युवा है । कहते है युवा जब संगठित हो जाए तो नया निर्माण निश्चित होता है । जो सबकी सोच के मायने बदल देता है । जुब्बल में रहने वाले इस युवा उद्यमी ने भी कुछ ऐसा ही किया ।
15 अक्तूबर 1984 को जुब्बल तैहसिल के शोबा गांव मे जन्मे यशपाल शर्मा आज के युवा उद्यमी है । इनकी प्राथमिक शिक्षा गांव के स्कूल मे, उच्च शिक्षा हाई-स्कूल सरोट मे तथा कालेज की पढाई डिग्री कालेज सरस्वतीनगर से हुई । बचपन से ही टीम बनाकर गाँव मे क्रिकेट खेलना जैसी संगठित होकर काम करने की आदतों ने इस युवा को समाज की सेवा करने को प्रेरित किया । अदंर छुपे जज़्बे को तब हवा मिली जब यह युवा कालेज के दिनों में विद्यार्थी परिषद के संपर्क मे आया ।
महाविद्यालय में संस्था के मिले नेतृत्व ने इस युवा की भीतर छिपि प्रतिभा को उजागर करने का अहम काम किया । लीडरशिप, पब्लिक सप्किंग, सोफ्ट स्किल जैसी अहम खूबियां व्यक्तित्व में आ गई । इसी संस्था मे इस युवा को स्वामी विवेकानन्द के विचारों से एक नई दिशा मिली ।
जो शौक कभी गांव में टीम बनाकर खेलने का था , आज वो ही असल जिन्दगी में लोगों की टीम बनाकर एक लक्ष्य के लिए काम करना बन गया । जिससे देश का निर्माण और समाज का निर्माण संभव है ।
कालेज शिक्षा पूरी होने पर अध्यापन मे रुचि होने की वजह से सन 2007 से 2013 तक जुब्बल मे ही एक निजि विद्यालय मे शिक्षक के रुप में यशपाल शर्मा ने अपनी सेवाएं दी । जहां पर साथी युवा इस उम्र मे नौकरी के लिए शहरों का रुख कर कर रहे थे , यशपाल के दिमाग में खुद और क्षेत्र के साथियों को यहीं पर रोजगार के अवसर उपल्बद कराने का विचार दौड़ रहा था ।
अपने अध्यापन काल में ही संगठित होकर काम करने की सोच ने सन 2010 में एक नई संस्था का वैचारिक निर्माण किया और 1 जुलाई 2011 को YSAS यसास ( युवा शक्ति अनुसंधान समिति ) के रुप में संस्था की नीव पड़ी ।
YSAS को अमली जामा पहनाने से पहले इस युवा उद्यमी ने क्षेत्र के अलग-2 गावों मे रहने वाले लोगों के साथ मिलन कार्यक्रम किये । जिसमें 400 से ज्यादा लोगों से विचार विमर्श करके कुछ बिन्दुओं पर संगठित होकर काम करने की योजना बनी । जिनमे राप्ट्र निर्माण, अलग-2 व्यवसायों के लोगों द्वारा मिलकर काम करना जैसे महत्वपूर्ण विषय थे ।
इसी प्रयास में 28 मार्च 2012 को YSAS अकादमी की जुब्बल मे शुरुवात हुई । जिसमें YSAS की पूरी टीम ने साथ दिया । पहले वर्ष से जहां इस अकादमी ने 3 बच्चों की कोचिंग से शुरुवात की थी आज वही संख्या 140 बच्चों तक पहुंच गई है । YSAS के द्वारा एक ही छत के नीचे अलग-2 विषयों पर शिक्षा देने की वजह से अभी तक 700 से ज्यादा विद्यार्थी इस अकादमी से कोचिंग लेकर एक सफल कैरियर का निर्माण कर चुके है ।
समाज के लिए चुनौतियो को जानबूझ कर अपने मार्ग मे लाना और एक नई मिसाल बनाने का मानों अब तजुर्बा सा हो गया हो । इसी से प्रेरित सांस्कृतिक उत्थान उत्सव को जुब्बल में आयोजित करने पर विचार होने लगा । यह एक ऐसे उत्सव का विचार था जिससे गांव मे रहने वाले लोंगों को अपनी लोप होती संस्कृति के वारे मे जागरुक करवाना था । इस विषय में यशपाल शर्मा का मानना था कि आधुनिकता की दौड़ मे अगर हम अपनी संस्कृति भूल गये तो हम इन सुन्दर पहाड़ियों मे बसे बेजान से पेड़ हो जायेगे ।
इस कार्यक्रम को सफलता पूर्वक आयोजित करने के लिए धन की व्यवस्था करना एक अहम चुनौति भरा काम था । जबकि पूरी टीम के पास किसी भी तरह के प्रबंधन तजुर्बे के न होने के बावजूद भी यशपाल शर्मा ने इस काम मे भी कुशलता दिखाते हुए बड़े आसानी से इसे टीम के सहयोग से कर दिखाया ।
23 अक्तूबर 2014 को दीपावली के दिन इस कार्यक्रम का भव्य आयोजन हुआ , जिसमें स्थांनीय कलाकारों और प्रतियोगियों को प्राथमिकता के साथ राज्य स्तरीय कलाकारों ने भाग लिया । इस आयोजन की पूरे क्षेत्र मे सराहना हुई और यसास टीम के हौसले को एक नया मुकाम मिल गया । अगले ( 2015 ) वर्ष एक और भव्य उत्सव का आयोजन हुआ ।
सामाजिक सेवा चुनौतियों से जरुर भरी है । पर इसे निभाने मे जो आन्न्द आता है शायद ही वह किसी एकल काम मे आता हो । युवा यसास टीम पूरे क्षेत्र के लिए एक मिसाल बन कर उभरी है । इस संस्था ने अभी तक 18 लोगों को परोक्ष और अपरोक्ष रुप से रोजगार के अवसर भी उपलब्द कराये है । अपनी एकादमी में आर्थिक रुप से कमजोर बच्चों को निशुल्क शिक्षण भी दिया जाता है ।
नशा, स्वास्थ, अंधविश्वास, सांस्कृति जैसे सामाजिक विषयों पर समय समय पर जागरुकता अभियान और किसी अन्य सामाजिक सुविधा को लेकर जनआन्दोलन के माध्यम से भी आवाज उठाने में संस्था अहम भूमिका निभा रही है ।
यशपाल शर्मा के नेतृत्व में टीम यसास ने क्षेत्र में एक ऐसी मुहिम चलाई है जिसमें समाज के विभिन्न क्षेत्रों में अपना अविस्मरणीय योगदान देने वाली हस्तियों को सम्मानित किया जाता है । जिसकी शुरुवात मे 2014 में गायक मोहन सिंह चौहान को उनकी लोक गायकी को वैश्विक पटल पर स्थापित करने के लिए और बलबीर लामा को उनके लेखन में योगदान के लिए सम्मानित किया गया ।
भविष्य के योजनाओं मे सबसे अहम विषय पर बात करते हुए यशपाल शर्मा टीम ओनैन से कहते है
इस क्षेत्र से आम परिवार आज अपने बच्चों को अच्छी पढ़ाई के लिए शिमला जैसे शहरों की ओर पलायन कर रहे है । जिससे न केवल गांव का विकास बाधित हो रहा है बल्कि युवा अपनी संस्कृति से भी दूर होते जा रहे है । शिक्षा के क्षेत्र में जो इस तरह का पलायन हो रहा है वह समाज के लिए सही नही है । इसके लिए आधुनिक सुविधाओं से युक्त शिक्षण संस्थानों को इसी क्षेत्र मे उपल्बद करवाने के प्रयास मे यशपाल शर्मा कार्यरत है ।
इतने कम समय में इस युवा द्वारा यसास के रुप में शुरु की गई संस्था आज सफलता पूर्वक देश निर्माण में अपना योगदान देकर युवाओं को नई दिशा के साथ आगे लेकर आ रही है । आने वाले समय में हम इस संस्था को और नई उंचाईओं पर देखेंगें ।
टीम ओनैन डाट इन