सफलता का अर्थ केवल पद हासिल करना या दौलत और शौहरत कमाना ही नहीं होता । सफलता का असली अर्थ है कि आप जो सही समझते है उसे हिम्मत, भरोसे,जज़्बे और शिद्दत के साथ करें । कुछ ऐसे ही फलसफे पर विश्वास करने वाली डा0 शारदा धल्टा न केवल आज क्षेत्र में एक मिसाल के रुप मे जानी जाती है बल्कि आधुनिक युवाओं/युवतियों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत भी है ।
डा0 शारदा धल्टा का जन्म 1950 में जुब्बल तैहसिल के धार गांव में श्रीमति एंव श्री लक्ष्मी और प्रागराम धल्टा के घर हुआ । पिता का पेशे से अध्यापक होने की वजह से अपने बचपन से ही इन्हे समाजसेवा और आदर्शवादी सोच से ओत-प्रोत माहौल मिला ।
“आज मैं जो भी हूं अपने माता- पिताजी, भाई-बहन और शिक्षकों की प्रेरणा और मार्गदर्शन की वजह से हूं। “मैं हार से या असफलता से नहीं घबराती और कोई काम शुरू करने से पहले बहुत सोचती नहीं हूँ। वास्तव में जब मैं देखती हूँ कि कोई काम मुझे अच्छा लग रहा है तो उसमें हाथ डाल देती हूँ और दृढ़ संकल्प के साथ उस काम में अपने आपको पूरी तरह झोंक देती हूँ।” इस सामाजिक सेवा के साथ साथ मैं घरेलू कामों में भी जुड़ी रहती हूँ । जो मेरे लिए अतिरिक्त सुविधा साबित होता है”
इनकी प्रारंभिक शिक्षा सरोट तथा राजकीय सीनियर सैकेंड्री स्कूल जुब्बल से हुई । उसके बाद विज्ञान विषय मे स्नातक, स्नात्कोत्तर और एम फिल (M. Phil ) हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से सन 1977 में प्राप्त कर हिमाचल प्रदेश की प्रथम महिला स्नात्कोत्तर ( भौतिकी ) बनने का गौरव प्राप्त किया । इसके बाद पंजाब विश्वविद्यालय से भौतिकी में ही डाक्टरेट की उपाधि हासिल की ।
इसी वर्ष ( 1977 ) ही बतौर प्रवक्ता ( lecturer ) राजकीय कन्या महाविद्यालय शिमला में डा0 शारदा धल्टा ने अपनी सरकारी सेवा की शुरुवात की । शिक्षण के इसी समय काल में इन्हे अलग-अलग तरह ( NSS Program Officer, Hostel Warden ) से सामाजिक सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ । जिनमें सफाई, स्वास्थ्य, शिक्षा, खेल, पर्यावरण आदि अभियान मुख्य रहे ।
वर्ष 2006 में पदोन्नत्त होकर इन्हें प्रधानाचार्य के तौर पर राजकीय महाविद्यालय सीमा ( रोहड़ू ) में अपनी सेवायें देने का श्रेय मिला । इसी महाविद्यालय से 2008 में इन्होने सेवानिवृति प्राप्त की ।अपने सेवा काल के दौरान शैक्षणिक गतिविधियों के साथ-साथ सामाजिक निर्माण के कार्यों में इन्होने समर्पण और सेवा भाव से योगदान दिया ।
गांव के लोगों के प्यार, सहयोग और आशीर्वाद से पंचायती राज संस्था की ग्रामीण कड़ी में ग्राम पंचायत धार ( जुब्बल ) में प्रधान पद के माध्यम से गांव की सेवा करने का भी सेवानिवृति के बाद मौका मिला । इन्होने अपनी क्षमता और योग्यता के अनुरुप पंचायत विकास के लिए हर संभव प्रयास किया । जिसमें गांव के सार्वजनिक भवनों का विनिर्माण, ग्रामिणों के बगीचों को जोड़ती सड़क, बारिश के पानी का ड्रेनेज सिस्टम, सौर ऊर्जा संचालित स्ट्रीट लाईट, जरुरतमंदों को घर, बेटी पढ़ाओ-बेटी बढ़ाओ, पैंशन योजना के तहत एकल नारी और पुरुषों को उम्र के मुताबिक पैंशन लगाना और स्वास्थ बीमा योजना जैसी अनेकों योजनाओं को जमीनी स्तर पर अमलीजामा पहनाया । इन्होने महिला मण्डल, नव युवक मण्डल और अन्य स्वयं सेवी संस्थाओं को मिलकर काम करने के लिए इक्ट्ठा व प्रेरित किया और उन्हे उचित सहायता भी उपल्बद करवाई ।
अपने प्रवक्ता सेवाकाल के और पंचायत प्रधान के कार्यकाल के दौरान कई बच्चे , जो कि उनके माता-पिता द्वारा नकार दिये गये थे को उनके अधिकार दिलाने में सहायता की ।
एक स्त्री होने के नाते हमारे जीवन में कोई बात कितनी व्यक्तिगत है और कितनी सामाजिक यह हमारे द्वारा यानी खुद के द्वारा लिए गये निर्णयों से ही पता चलता है । यदि मैं इसे अपने आप से जोड़ कर कहूँ तो मेरे कहने का मतलब यह होगा कि मेरे अपने जीवन में लिए गये फैसले ही मेरे जीवने की दिशा को स्पष्ट करते है । यह फैसले हमारे लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण होते है क्योकि एक ओर इन्ही फैसलों से हमारे जीवने की बुनियाद तय होती है तो दूसरी ओर हमारे जैसे लोग जो सामाजिक कार्यकर्ता का जीवन जीते हुए समाज बदलाव का कार्य करना चाहते है उनके फैसले उनके साथ-साथ बाकी समाज को भी कहीं न कहीं गहराई से प्रभावित और प्रेरित करते है ।
अपने सेवा काल के दौरान ये मानव और समाज सेवा के क्षेत्र मे हर वक्त जुड़ी रहीं । इन्होने राज्य और राष्ट्रीय स्तरों पर अनेको तरह के शिविरों में भाग ही नहीं लिया है बल्कि अपने स्तर पर कई स्वास्थ , महिला सशक्तिकरण, शिक्षा जागरुकता जैसे शिविरों का सफल आयोजन भी करवाया है । इसी सेवा भाव से आज तक 47 बार अपना रक्त दान कर चुकि है । “ सेवा सबसे पहले घर से और सेवा अधूरे मन से नहीं ” जैसे वाक्य सही में इन पर चरितार्थ भी होते है ।
आज भी डा0 शारदा धल्टा जोश और उत्साह से कई तरह के सामाजिक कार्यक्रमों मे भाग लेती है । जिसमे अपने वैचारिक और आर्थिक सहयोग से समाज निर्माण मे अहम भूमिका निभा रही है ।
आज के मौजूदा सूचना क्रांति के दौर में हर कोई जानकारी के अथाह सागर से जुड़ा हुआ है । Whatsapp और facebook जैसे सोशल मिडिया का ये इनफार्मेशन ओवरडोज़ ( Information Overdose ) घातक सिद्द हो रहा है । सफलता के बारे में डा0 शारदा धल्टा टीम ओनैन डाट इन से कहती है कि
असफलता के कई कारण होते हैं, लेकिन सफलता तक पहुंचने का केवल और केवल एक ही रास्ता होता है और वो है कठोर परिश्रम। अकसर लोग सफल व्यक्तियों को देखकर रातों रात उनके जैसा बनने का ख्वाब देखते हैं, वे चाहते हैं कि किसी भी तरह वे उनके जैसे सफल हो जाएं, जल्द सफलता पाने की इस चाहत में वे सभी शॉर्टकट का प्रयोग करते हैं और इस कारण अकसर उन्हें असफलता ही हाथ लगती है।सफलता वो चीज़ नहीं है, जिसे कोई एक रात में पा सकता है किसी भी व्यक्ति के सफल होने के पीछे एक कहानी छिपी होती है। एक ऐसी कहानी जिसमें उसकी मेहनत होती है, उसका संकल्प होता है और उसकी दृढ़ इच्छा शक्ति होती है। ‘
शिक्षा और जागरुकता ही आज हमारे समाज को इस बेतरतीब मुकाम से एक आदर्श मुकाम तक पंहुचा सकती है । शिक्षा के लिए अभिभावक यदि अपने बच्चों के लिए शहर की प्राथमिकता को छोड़ कर स्थानीय संस्थानो का चुनाव करें तो इससे ने केवल स्थानीय जगहों पर गुणवत्ता युक्त शिक्षा मिलेगी बल्कि गावों का विकास भी होगा । आज हम आर्थिक सम्म्पन्न होने के बाजूद भी अपनी पहाड़ी संस्कृति और सभ्यता का खात्मा कर चुके है । “सम्पन्ंता जागरुकता नही है” । जागरुकता के अभाव में आज का युवा शिक्षित होने के बावजूद भी राजनैतिक आंखों से हमारे गाँव-गढ़, संस्कृति के नाश का तमाशा देख रहा है । जहां एक ओर हमारे गांवों मे आज भी आधारभूत सुविधाओं की दरकार है वहीं दूसरी ओर Civic Sense भी नहीं है । आज इस क्षेत्र के बागवान, महिलाएं, युवा अगर संगठित होकर समाज निर्माण के लिए आगे नही आये तो इसके परिणाम हम सभी को भुगतने के लिए तैयार भी रहना होगा । क्योंकि हम सब अपनी कामयाबी के उत्सव का असली आन्नद अपने दाई-भाई और रिश्तेदारों के बीच ही ले सकते है ।
टीम ओनैन डाट इन