तू ही बतादे

कान्हा आजा ना,
दरस दिखलाजा ना,
तड़प रही मैं – तड़प रही, ओ कान्हा —
मैं गम की मारी,
भई दर्द दीवानी,
तू समझे क्यूं ना,
मेरी ये लाचारी,
मैं विचलित हूँ आजा,
व्यथित हूँ तू आजा,
तड़प रही मैं -तड़प रही, ओ कान्हा —-
मैं याद में तेरी,
रहती हूँ हरदम,
चाहे दे तू खुशियाँ,
चाहे दे- दे तू गम,
है विनती बारम्बार,
मैं आई तेरे द्वार,
तड़प रही मैं -तड़प रही, ओ कान्हा —-
ये बैरी जमाना,
कहे श्याम हमारा,
अब ‘ तू ही बतादे,’
मेरा कौन सहारा,
मैं तुझसे पूछ रही,
गमों से जूझ रही,
तड़प रही मैं -तड़प रही,
ओ कान्हा आजा ना – – – ।।

          मधु गोयल
     चंडीगढ़ अॉप्टीकल
            गोल मार्किट
       कैथल (हरियाणा)

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