दिव्यांग बच्चों  के  साथ  बिताये  हुए  कुछ  पलों  का मेरा अनुभव 

श्री  बालाजी आश्रम  में  दिव्यांग बच्चों  के  साथ  बिताये  हुए  कुछ  पलों  का मेरा अनुभव  ..
 फ़रिश्ते

ईश्वर  के  बनाए ये  ‘अनमोल ‘ बच्चे  हैं ,
सीधे  सादे  और  दिल  के  कितने  सच्चे  हैं  ,
कमज़ोर  न समझना  , ये हमसे  भी  ताकतवर  हैं  ,
मुश्किलों  से  लड़ने  का इनमें  ज्यादा  हुनर है  ,
वो दर्द  में  भी  इतना  खुल के मुस्कुराना  ,
वो नाचना, वो गाना , वो फोटो  खिंचवाना  ,
नमन है  उस ज़ज्बे को , जो जीना इन्हें  सिखाता है  ,
सर ख़ुद  ब ख़ुद  मेरा, सजदे में  झुक  जाता है  ,
पंख नहीं  फिर  भी  खुली  हवा  में  उड़ना आता  है  ,
अपने  हौसले  के दम पर,  हर मुश्किल  से  लड़ना आता  है  ,
बिना पाँव  चलकर  , हर राह पार करना आता है  ,
हाथों  के बगैर  भी, बखूबी  लिखना  आता  है  ,
न बाहर की चकाचौंध,  न आवाज़  सुन  पाते  हैं  ,
बस रूह के संगीत  से  ही  ख़ुद  को  बहलाते हैं  ,
वो बोल नहीं  सकते  अपने  दिल  की  बात  ,
जाने  क्या-क्या  संजोए  बैठे  हैं  दिल  में  जज़्बात  ,
है ग़ुज़ारिश मेरी सबसे,  कि सब उनका सम्मान  करो ,
बाँट  लो सब दर्द  ,उनके  होंठों  की  मुस्कान  बनो ,
क्योंकि ….
दुनियां  में  सबसे  बढ़कर  ” इन्सानियत”  के  ही रिश्ते  हैं  ,
आओ इनसे  प्यार करें,  आसमान  से आए ये  नन्हे  ” फ़रिश्ते ” हैं  ।।

             रश्मि सिंगला
लुधियाना पंजाब

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