नंदपूर पंचायत की प्रधान शकुंतला डौड ने उत्साह, आत्मविश्वास और सेवा के जज्बे से कैसे अपनी एक पहचान बनाई ।

लगातार तीन बार पंचायत प्रधान के तौर पर निर्वाचित होने के बाद अपने साहस का जबरदस्त प्रदर्शन करके शकुंतला डौड ने नंदपूर पंचायत मे विकास को नई दिशा दी है । हर घर शौचालय, सोलर स्ट्रीट लाईट, जैसी सुविधाओं को पंचायत मे लागू करवा कर महिला शस्क्तिकरण का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है । जहां पर और सरकारी ढ़ाचे को ही दोष देते है वहीं हर विभाग से मदद लेकर इन्होने पंचायत को विकास की एक नई राह पर लाकर रख दिया है । तमाम तरह की चुनौतियो का सामना करने वाली शकुंतला डौड के बारे में आईए कुछ जानते है । 

 

शकुंतला का जन्म 5 अप्रेल 1970 को गांव कुटांगण (थरोच) तैहसिल चौपाल में स्व श्रीमति एव श्री प्रज्ञा और ज्ञान सिंह सिसोदिया के एक साधारण परिवार मे हुआ । माता-पिता दो बड़े भाई और तीन छोटी बहनों वाले परिवार में पली बढ़ी शकुंतला की दसवीं तक की पढ़ाई हाई स्कूल थरोच में हुई । उच्च शिक्षा की सुविधा गांव में न होने पर चौपाल सिनियर सेकेंडरी स्कूल से +2 की शिक्षा उतीर्ण की ।

पारिवारिक जिम्मेवारी के साथ सन 1989 में शकुंतला का विवाह गांव रुईलधार तैहसिल जुब्बल के निवासी आदर्श डौड के साथ हुआ ।

बचपन से ही लोगों की मदद के लिए तैयार रहना , सार्वजनिक हित के लिए बड़े जोखिम उठाना जैसी आदतों ने शकुंतला को डौड् परिवार ने मानों पंख से दे दिये । अपनी इसी सामाजिक सेवा की उड़ान के रुप में सन 1992 में मात्र 21 साल की उम्र मे बी.डी.सी सदस्य का चुनाव लड़्कर जीत के रुप में एक नई शुरुवात की ।

यहीं से राजनैतिक और गैर राजनैतिक हस्तियों के आदर्शों पर चलकर तरह तरह की संस्थागत कठिनाईयों को समझने और सुलझाने का दौर शुरु हुआ । सामाजिक सेवा की इच्छाश्क्ति से सन 2005 में नंदपूर पंचायत प्रधान के पद का चुनाव लड़ा । जिसमें मिleeली जीत ने इन्हें लोगों की मदद और विकास के लिए और् ज्यादा वचनबद्ध कर दिया ।

 

विकास को लेकर दिमाग में बनी सारी योजनाओं को अब असल नजर में उतारने का मौका था । इसके लिए इन्होने ग्रामीण महिलाओं, पुरुषों को घर-घर जाकर जागरुक किया और उन्हे साथ लेकर विकास के लिए आगे आने को तैयार किया । हर घर में शौचालय और पूरा गाँव गंदगी मुक्त जैसी योजनाओं मे ग्रामीणों का साथ पाकर सन 2011 में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित निर्मल ग्राम पुरस्कार से सम्मानित पंचायत होने का गौरव प्राप्त किया ।

मानवता की सेवाभाव का एक उदाहरण टीम ओनैन से साझा करते हुए कहती है ,

सात साल पहले जमा देने वाली सर्दी के दिनों में गांव के एक पांच बच्चों वाले परिवार में जब बच्चों की मां का अचानक निधन हो गया तो, बच्चों के लालन-पोषण और भविष्य की समस्या, एक नई चुनौति के रुप में सामने खड़ी हो गई । बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए चाइल्ड हेल्पलाइन से संपर्क किया गया , और कई तरह की स्थानीय और कानूनी चुनौतियों को पार कर के 5 दिन बाद रात के 12 बजे उन्हे आवास दिलाने में कामयाबी मिली ।

यह एक ऐसा पल था जिसकी सफलता का अन्दाज इन्हे शिमला मे होने वाले एक राज्य स्तरीय सम्मेलन में विशेष रुप से आमंत्रित किये जाने पर हुआ ।

पंचायत के विकास के लिए इन्हें हर सरकारी विभाग और गांव वालों का साथ मिला । जिसके अथक प्रयासों से आज हर घर के आगे सोलर स्ट्रीट लाईट जैसी सुविधा है । होल्टीकल्चर, ऐग्रीकल्चर, आई.पी.एच, विद्युत, पी.ड्ब्लु.डी, स्वास्थ, शिक्षा और ट्रांसपोर्ट जैसे विभागों से सहयोग लेकर ग्रामीणों को जागरुक करना और इन विभागों के द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए गाव वासियों को समय- समय पर प्रेरित किया ।

 

अपने मार्गदर्शक के रुप में पंचायत के पहले प्रधान श्यामलाल सरजोलटा को याद करते हुए शकुंतला कहती है कि उनकी एक बात आज भी मुझे घर से बाहर निकलने पर याद आती है कि बेटा पंचायत प्रधान से आम लोगों को बड़ी उम्मीदें होती है, इसलिए पंचायत में घूमते हुए अपने साथ जरुरी स्टेंप और पैड रखें । जिससे मौके पर ही गामीणों छोटी-2 समस्याओं का निपटारा हो सके । कुछ इस तरह के ही छोटे-2 आदर्शों ने इनके व्यक्तित्व को नई पहचान दी ।

पुरुष प्रधान मानसिकता वाली सामाजिक व्यव्स्था में शंकुतला डौड आज अपने साहस और कर्मनिष्ठा की वजह से एक कामयाब महिला के तौर पर दूसरों के लिए एक मिसाल से रुप मे है । अभी तक के सफर में वो जिस जिस  मुकाम पर है वह लोगों की गैर राजनैतिक तौर से सेवा करने की वजह से है ।

अपने डौड परिवार और पंचायत के लोगों के योगदान के बारे में बताते हुए शकुंतला कहती है कि बिना मेरे पति, सास-ससुर (श्रीमति/श्र्री कमला और जसवंत डौड), ताया जी (श्री दीनानाथ सिंह डौड) या यूं कहें पूरे डौड परिवार के सहयोग के बिना मेरा इस मुकाम तक पंहुचना मुश्किल था । जहां परिवार ने मुझे सामजिक काम करने के लिए प्रेरित किया वहीं मुझे यह भी सिखाया कि महिला की कामयाबी सीधी उसके चरित्र के साथ जुड़ी होती है । इसके साथ ही पंचायत के सभी लोगों से मिले प्यार, सम्मान और समर्थन से ही ये मुकाम मुमकिन हो पाया है ।

आज के अव्यवस्थित राजनैतिक दौर में जहां किसी के लिए प्रधान पद का मतलब खेल या बस नाम के रुप में प्रसिद्ध होना हो वहीं शकुंतला के लिए यही पद किसी भी दूसरे राजनैतिक पद से ज्यादा महत्वपूर्ण है । क्योंकि यही देश के विकास का पहला आधारभूत स्तंभ है ।

टेक्नालेजी पर जोर देते हुए इनका कहना है कि , आज समाज के हर वर्ग को इंटरनेट की जानकारी होनी ही चाहिए , यह एक ऐसी क्रांति है जो हमे हर तरह से विकास के साथ रख सकती है । अपने गाँव और क्षेत्र के विकास के लिए आर्थिक रुप से सम्मपन लोगों को सबसे आगे आने की जरुरत है तभी विकास चौहुमुखि होगा ।

आगामी योजनाओं मे संपूर्ण पंचायत को एक आदर्श पंचायत के रुप मे विकसित करना और सरकारी योजनाओं से आने वाली राशी को एक परंपरागत स्कीम के तहत न होकर गांव की जरुरत के हिसाब से इस्तेमाल करने की सुविधा पर जोर देना है । पंचायत मे गौवंश की रक्षा के लिए गौसदन, फल एंव सब्जियों के प्रसंस्करण के लिए पर्यावरण मित्र लघु उद्योग इकाईयां आदि स्थापित करने के लिए प्रयासरत है ।

टीम ओनैन डाट इन 

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