नारी 

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मनुष्य क्यों करता है नारी का अपमान,
आखिर वो भी तो है एक इंसान ।

नारी कितने दुखों को सहती,
फिर भी ना किसी से कुछ कहती।
यही तो है उसकी सहनशीलता की पहचान,
आखिर वो भी तो है एक इंसान ।

नारी है दया,प्रेम, श्रद्धा से परिपूर्ण,
उसमें हैं  ऐसे  अनेकों गुण ।
क्यों ना हम उसे दें सम्मान,
आखिर वो भी तो है एक इंसान ।

नारी पहले बेटी फिर पत्नी बन जाए,
उसके बाद मां फिर दादी बन जाए ।
उसके रूप हैं कितने महान,
आखिर वो भी तो है एक इंसान ।

नारी ही तो मनुष्य को जन्म देती,
वही उसका पालन-पोषण करती।
फिर बनाए उसे लायक इंसान,
आखिर वो भी तो है एक इंसान ।

नारी का दिल है प्यार का सागर,
चाहे भर लो उससे अपनी गागर।
फिर क्यों लेते हो उसकी जान,
आखिर वो भी तो है एक इंसान।

मनुष्य क्यों करता है नारी का अपमान,
आखिर वो भी तो है एक इंसान ।

श्रीमती रीना देवी,
‌‌‌‌             प्रवक्ता,
रा. व.मा. वि.,
मांधना (पंचकूला)।

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