प्रश्न-पत्र

जब मैं जांचने बैठी
अपने जीवन का प्रश्न पत्र
तब देखा कि
मेरे तो अधिकतर जबाव सही ही थे
पर नम्बर कम मिले थे
या तो मेरे उत्तर
उनको समझ ही नहीं आये
या फिर वो किसी और
जबाव की अपेक्षा में थे
या कहीं ये डर तो नहीँ था कि
कहीँ मैं आगे न निकल जाऊँ
इसलिए मेरी सही उत्तर पुस्तिका
को भी गलत साबित कर दिया
मैंने कई किताबों में पढ़ा था
कई मनीषियों से भी सुना था
जबाव तो यही थे
पता नहीँ,मेरे कैसे गलत हो गए
और मैँ जीवन की परीक्षा में
अच्छे अंक न ले सकी
पर,क्या फर्क पड़ता है इन अंको से
आखिरी परिणाम तो वही होगा न
जो मेरा खुदा लिखेगा और
सराहेगा मेरे जबावों को
दीपशिखा
चंडीगढ़
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