कोई खास,कुछ भी नहीं रहता
बदल जाते तमाम समीकरण
एक पल में
वो जन्मों के वादे
ढह जाते ,एक पल में
रिश्ते……एक पल में कुछ यूँ बदल जाया करते हैं ।
वो अपनापन,वो प्यार,वो जज़्बात
एक पल में ख़ाक हो जाया करते हैं
वो विश्वास की नाजुक डोर
जिसके सहारे बरसों टिकी रहती है जिंदगी
एक पल में,धराशायी हो जाया करते हैं
रिश्ते…..एक पल में कुछ यूँ बदल जाया करते हैं ।
कागज़ों पर बनते बिगड़ते
एक छत के नीचे रहते, अबोले
नाक भौं सिकोड़ते रिश्ते
एक पल में, दम तोड़ जाया करते हैं
रिश्ते……एक पल में कुछ यूँ बदल जाया करते हैं ।
बरसों का साथ पराया करते
कागजों पर मात्र हस्ताक्षर से ,
अजनबी होते रिश्ते
लिजलिजे स्पर्श से आहत
नासूर घाव बन रिसते रिश्ते
एक पल में, ठेस लगते कांच से टूट जाया करते हैं
रिश्ते……एक पल में कुछ यूँ बदल जाया करते हैं ।
प्यार भरे स्पर्श को तरसते
लड़ते,झगड़ते रिश्ते
हँसते, गाते,साथ खाते, नाचते
कुछ अनछुए,बेनाम रिश्ते
बेचैन करते कुछ अधूरे रिश्ते
एक पल में, मुट्ठी में रेत की मानिंद फिसल जाया करते हैं
रिश्ते……एक पल में कुछ यूँ बदल जाया करते हैं ।
कंचन अद्वैता
पंचकूला हरियाणा