मिलिए हिमाचल की पहली और एकमात्र महिला योग प्रशिक्षिका से जो अंतराष्ट्रीय स्तर पर योग सिखा कर लोगों को जीने की एक नई दिशा दे रही है ।

जिंदगी हमें धक्के मारकर गिराती

ही है, अब ये हम पर है कि हम वापस से खड़ा होना चाहते हैं या नहीं। जो जिंदगी की परीक्षाओं में हारकर बैठ जाता है, जिंदगी उसे भी वहीं छोड़ देती है। असली सूरमा तो वो हैं, जो इस ठोकर में भी संभावना तलाश लेते हैं। बचपन में

 मीनाक्षी ठाकुर ने यह कभी नहीं सोचा था कि योग ( YOGA ) आगे चलकर इनका एक पेशा होगा , पेशा ही क्या एक जीवन शैली होगा !  पर आज वास्तविकता में करोड़ों लोग

 इसे अपना रहे हैं और इससे  अपने जीवन में आधारभूत परिवर्तन ला

रहे हैं ।

एक साधारण से परिवार और आधुनिकता से दूर क्षेत्र में जन्मी मीनाक्षी ठाकुर आज अंतरराष्ट्रीय स्तर की योग प्रशिक्षिका है । इनका जन्म हिमाचल के शिमला जिला के जुब्बल के गांव मांदल मे हुआ । इन्होने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गांव के ही स्कूल से की इसके बाद अपनी आगे की पढाई के लिए इन्होने चंडीगढ का रुख किया । अपने हुनर के साथ कुछ कर गुजरने का माहौल इन्हे अपने घर पर ही मिला । जिसकी प्रेरणा इनके कैरियर मे भी रही ।  इनके पिताजी दिनेश ठाकुर बालीबाल के खिलाड़ी रहे है, और बड़े भाई चेतन ठाकुर  फुटबाल मे  राष्ट्रीय खिलाड़ी है और छोटा भाई विवेक ठाकुर जूडो में राष्ट्रीय स्तर का प्रतिनिधित्व करता है ।


कालेज की पढ़ाई के दौरान ही मीनाक्षी ठाकुर का योग की तरफ रुझान हुआ । कालेज के योग गुरु चमन लाल कपूर के दिशा निर्देश और मार्ग दर्शन का इनके ऊपर बहुत असर हुआ और आगे चलकर यही इनकी प्रेरणा बनी । कालेज की पढ़ाई के दौरान योग के क्षेत्र में ही इन्होने अपना कैरियर बनाने का फैसला लिया ।  अपनी एकादमिक और प्रोफैशनल पढ़ाई योग में ही की , ताकी ये इस क्षेत्र में अपने आप को हर तरह से सक्षम बना सके । योग से जुड़ी पढ़ाई के लिए इन्होने  राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय संस्थानों की सहायता ली है ।

पढ़ाई करने के बाद योग प्रशिक्षण का दौर शुरु हुआ जिसमे मीनाक्षी ने राष्ट्रीय स्तर पर कई कार्यक्रमों मे भाग लिया । इसी कड़ी मे सन 2010 में एक सुनहरा मौका इनके पास आया । योग फेडरेशन आफ इण्डिया की ओर से दक्षिण कोरिया मे भारत का प्रतिनिधित्व करना । योग अधिकारी ( कोच ) के तौर पर किसी देश का प्रतिनिधित्व करना अपने आप मे एक गर्वान्वित कर देने वाला पल है । इसके बाद इसी तरह से बैंकाक में भी अंतराष्ट्रीय स्तर पर देश के सम्मान को बढ़ाने का अवसर प्राप्त हुआ ।

यह एक ऐसा पल था जिसमें मीनाक्षी को खुद की पहचान के साथ देश की पहचान हुई । विदेश में हमारी पहचान एक भारतीय की होती है । और जो भी सामाजिक नजरिया हम रखते है उसको सीधा हमारे देश से जोड़ा जाता है । भारत की समृद्ध सनातन संस्कृति की शक्ति का इस विदेशी दौरे से इन्हे अवलोकन हुआ । तभी तो मीनाक्षी ठाकुर कहती है कि हम भारत के किसी भी दूर दराज गांव मे रह रहे हो, हम वहां भी शक्तिशाली और समृद्ध है , और हमें किसी भी बाहरी दिखावे से पथभ्रष्ठ होने की जरुरत नहीं है । बस जरुरत है खुद को पहचानने की ।

आजकल सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ में मीनाक्षी ठाकुर राजनैतिक युवा सेवाओं के साथ अपनी संस्था “मिसाल” के साथ मिलकर अपनी सोच को असली रुप दे रही है । मिसाल संस्था हिमाचल के साथ-साथ चंडीगढ़ और पंजाब में भी काम कर रही है । रोजाना के योग प्रशिक्षण के इलावा समय- समय पर निशुल्क योग शिविर से भी इस आदर्श जीवन पध्दति ( योग ) को लोगों तक पहुचाने का काम करती है ।

जिस लड़की को अपने जीवन के 20 वर्षों तक योग का कुछ भी पता नहीं था आज उसी महिला को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग में एक पहचान मिली है । मीनाक्षी आज देश में हजारों युवाओं युवतियों की प्रेरणा स्त्रोत है ।  और इस मुकाम तक पहुंचने का सफर अपने आप में प्रेरक है ।  एक ग्रामीण परिवार से संबंधित होने के कारण छोटी उम्र में ही शादी का दबाव बना रहता है ।  जिसके कारण सामान्य तौर पर एक लड़की को अपने सपनों को पूरा करना बहुत मुश्किल हो जाता है ।  इनका मानना है कि कुछ भी हासिल करने के लिए प्रयास खुद ही करना पड़ता है समाज का आज भी महिलाओं के प्रति एक घृणित सा और दबाने वाला नजरिया है , जो आज के दौर में भी पूरी तरह से नहीं बदला है ।  इसी नजरिए की वजह से आज महिलाएं असुरक्षित महसूस करती है ।  इसी नजरिए के एक बहुत बुरे और गंदे दौर से गुजर कर आज मीनाक्षी ठाकुर भी इस मुकाम तक पहुंची है ।

ओनैन डाट इन (www.onain.in) से बातचीत के दौरान मीनाक्षी ठाकुर बताती है कि लड़कियों और महिलाओं को आज बहुत अधिक जागरुकता की जरुरत है । इसलिए कि समाज आज सूचना क्रांति और सोशल मीडीया के दौर मे है, तब ये और भी ज्यादा जरुरी हो जाता है । आये दिन महिलाओं पर जो अपराध होते है वो भी जागरुकता से और इकट्ठे मिलकर काम करने से ही कम किए जा सकते है । समाज मे जो मान सम्मान एक महिला को चाहिए वह कहीं से मिलेगा नहीं , बल्कि खुद महिलाओं को ही बनाना पड़ेगा ।


हो सकता है कि सरकारें बहुत काम कर रही हो, पर उनकी हकीकत ये कहती है कि योजनाएं जमीन पर आज भी सही तरीके से नहीं उतरती है । अपने मूल प्रदेश हिमाचल के बारे में ये कहती है कि,  किसी भी तरह के खेल के क्षेत्र में हिमाचल मे आज भी सरकारी सहायता सिर्फ नाम के लिए है । किसी भी खेल से जुड़ी प्रतिभाओं को सामने लाने के लिए बड़े पैमाने पर सरकारी योजनाओं को अमली जामा पहनाने की जरुरत है । तभी कुछ सार्थक निकलकर सामने आयेगा ।
टीम ओनैन डाट इन

Email :- onain.info@gmail.com

Share Onain Drive