मोहब्बत और मुक्क्दर

मोहब्बत और मुक्क्दर सताती बहुत है, दूर हो जाए किसी से रुलाती बहुत है ।
इतना ही फासला है दोनों से मिलने का ,
मुक्कदर मेहनत से मिलती है और मोहब्बत मुक्कदर से ॥

अज्ञात
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