रोहड़ू-जुब्बल क्षेत्र के एक प्रगतिशील किसान और बागवान की प्रेरणात्मक कहानी ।

जुब्बल तैहसिल के डाकघर अंटीं के तहत एक गांव पड़ता है पांगला । इस गांव के रहने वाले 58 वर्षीय  किसान और बागवान शिव सिंह खलास्टा ने कुछ ऐसा कर दिखाया कि अब वे आसपास के किसानों  और बागवानों के लिए एक प्रेरणा बन गये है । जब-जब क्षेत्र में कहीं सब्जियों की अच्छी फसल और उम्दा पैदावार का जिक्र चलता है तब शिव सिंह खलास्टा का नाम एक मिसाल के तौर पर सामने आता है ।

मार्च 1959 में जन्में इस किसान ने अपनी युवावस्था ( 1983) में ही अपने पैत्रिक गांव थाना से दूर पांगला में रहने का निश्च्य किया , जहां पर पैत्रिक बंजर जमीन के इलावा जीवन-यापन के लिये कोई भी आधारभूत सुविधाएं जैसे रहने को पक्का मकान, सड़क, पानी और बिजली आदि नहीं थी । ऐसी परिस्थितियों में भी कुछ कर गुजरने के जज़्बे ने इस किसान और बागवान को प्रगतिशील किसानों की सूची में दर्ज़ करवाया है ।

हाई स्कूल मांदल में पढ़े शिव सिंह खलास्टा ने परिवार के बड़े – बुजुर्गों से मिली पारंपारिक सब्जी उत्पादन की जानकारी और अपनी प्रयोगात्मक आदत से अपने खेत में सिमित संसाधनों में ही अलग-2 किस्मों की सब्जियां उगाने का काम व्यवसायिक तौर पर शुरु किया । जिनमें बंदगोभी, फूलगोभी, खीरा, शिमलामिर्च, टमाटर और बैंगन मुख्य थे । बिना अनुभव के यह काम इनके लिए चुनौतियों से भरा पड़ा था ।  इस व्यवसाय के शुरुवाती दौर में भारी पैमाने पर पैदा की गई सब्जियों को बाजार तक पंहुचाने के लिए ट्रांसपोर्टेशन आदि की व्यापक सुविधा नहीं थी और  न ही आसपास के जुब्बल, रोहड़ू के छोटे बाज़ारों में इनकी इतनी मांग थी । जिसकी वजह से इन्हे कई बार अपने उत्पाद को कौड़ियों के भाव भी बेचना पड़ा । शुरुवाती दौर में सब्जियों की अच्छी पैदावार तक पंहुचने के लिए इन्हें इस तरह की कई समस्याओं का सामना करना पड़ा ।

इसी तरह अपने इस प्रयास में कई बार भारी आर्थिक हानि के रुप में इन्हें असफलता से रुबरु होना पड़ा  ।

परिवार के सदस्यों का साथ, अपने हाथों की मेहनत पर भरोसा और कुछ कर गुजरने के जज़्बे ने शिव सिंह को मिली हार से भी कुछ ऐसा सीखने को मिला जिससे ये और ज्यादा जोश से आगे बढ़े । अब समय बदलाव का था तकनीक का था । किसी माध्यम से मिली जानकारी से इन्हें रोहड़ू स्थित कृषि विज्ञान केंन्द्र ( K V K) के डा. डीके मैहता और डा. एन एस कायथ की विशेषज्ञ सलाह के अनुसार काम करने का मौका मिला ।

कृषि विज्ञान केन्द्र की मदद से सन 1999 में पहली बार वैज्ञानिक तरीके से अपने खेतों में सब्जी उत्पादन का काम शुरु किया । जिससे सब्जियों की पौध तैयार करने का समय, बीज को लगाने का तरीका, पौध को रोपने का समय, गोबर की खाद की मात्रा, रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल, कीटनाशकों के इस्तेमाल जैसे आधारभूत विषयों की सटीक जानकारी मिली । जिससे सब्जी उत्पादन दोगुना हो गया और मुनाफा भी बढ़ा । अब विशेषज्ञों की राय से शिव सिंह ने सब्जियों के पारंपारिक बीजों के साथ साथ आधुनिक हाईब्रिड बीजों का भी प्रयोग किया । इस तरह से इन्हें टमाटर, फूलगोभी, शिमलामिर्च, बैंगन खीरा, घीया, करेला जैसी सब्जियों की अच्छी पैदावार मिली । सही ट्रांसपोर्टेशन और मार्केटिंग तकनीक का प्रयोग करके अब मुनाफा और भी बढ़ने लगा ।

सब्जी उत्पादन में शिव सिंह के इसी मेहनती जज़्बे से कृषि विज्ञान केंद्र रोहड़ू ने आत्मा प्रोजेक्ट के तहत रोह्ड़ू – जुब्बल क्षेत्र में सब्जियों पर अपने शोध के लिए इन्हीं के खेतों को चुना । जिनसे निकले नतीजों को आज हम अलग-2 माध्यमों से सटीक जानकारी के रुप में अपने लिए प्रयोग में लाते है ।

अपने इसी शौक से इन्होने बागवानी में अपने बगीचों में सेब की उन्नत किस्मों जैसे एम=9, एम=7,एम एम =111, एम एम 106, को भी तैयार किया है ।

कृषि और बागवानी में मिले अलग अलग अनुभवों को टीम ओनैन डाट इन से साझा करते हुए प्रगतिशील बागवान शिव सिंह कहते है कि कृषि एक ऐसा व्यवसाय है जिसे करते हुए आपको इससे जुड़े अन्य कई तरह के क्षेत्रों मे भी जरुरत के हिसाब से विशेषज्ञता हासिल करने का मौका मिलता है । मशरुम उत्पादन, मत्सय पालन, एनिमल हसबैंडरी, कीवि उत्पादन जैसे अन्य क्षेत्रों मे भी आज इन्हे अनुभव पर आधारित विशेषज्ञता हासिल है ।

इसी जनून और कामयाबी ने इन्हें क्षेत्रिय स्तर पर ही नहीं अपितु राजकीय और राष्ट्रीय मंच पर भी पहचान दिलाई । स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले कई कार्यक्रमों , वाद –सवाद आयोजनों , और विचार गोष्ठीयों के साथ-साथ आकाशवाणी और दूरदर्शन के कार्यक्रमों में इनके अनुभव से किसानों को आज प्रेरणा मिलती है ।

बने बनाऐ रास्तों पर चलना बहुत आसान है, परंतु एक नऐ रास्ते पर चलकर, मुकाम तक पंहुचना असल में कामयाबी है ।

वर्तमान में देवता साहब बनाड़ शराचली तैहसिल जुब्बल ( पैत्रिक निवास स्थान भी ) की कारदार कमेटी में शिव सिंह खलास्टा एक कारदार के रुप में भी अपनी सेवाएं दे रहे है , साथ में कृषि विज्ञान केन्द्र रोहड़ू मे एस. ए सी (SAC ) के सदस्य है और राजकीय बहुतकनीकि संस्थान रोहड़ू द्वारा संचालित सी डी सी टी पी ( C D C T P ) प्रोग्राम की कार्यकारी समिति में एग्जीक्यूटिव मेंम्बर के रुप में भी कार्यरत है । जिसके तहत बहुतकनीकि संस्थान द्वारा 6 महीनों के कोर्स गावों में चलाये जाते है । जिनमें वेल्डिगं, प्लम्बिंग, मशीन रिपेयर, सिलाई-कढ़ाई प्रमुख है ।

अपने अनुभवों को हमसे साझा करते हुए कहते है कि आज हमारे पास कृषि उत्पादन योग्य बहुत कम भूमि है जबकि आज बाजारों में लगातार मांग बढ़ रही है । इस मांग को पूरा करने के लिए जरुरी है कि हम वैज्ञानिक तरीकों का प्रयोग करके फल और सब्जी उत्पादन करें ।

हमारे पहाड़ी क्षेत्रों मे सरकार द्वारा कृषि और बागवानी के लिए दी जाने वाली अनुदान आधारित सुविधाओं का लोग अभी तक पूरी तरह से फायदा नही ले पा रहे है । बहुत लोग इन सुविधाओं में सिर्फ सब्सिडी ही देख रहे है । यदि कृषकों को इन सहूलियतों से फल और सब्जी उत्पादन में लाभ लेना है तो इनका सही तरीके से उपयोग करना जरुरी है ।

सेब उत्पादन से हमारे क्षेत्र में एक नई क्रांति आई है । पर इस से जुड़े बागवान अच्छी शैक्षणिक योग्यता रखने के बावजूद भी बहुत कम जागरुक है । बाजार में उपलब्द आज तरह-तरह के कीटनाशक, रासायनिक उर्वरक, और उन्य उत्पादों की भरमार है । जिनका किसान और बागवान भाई सिर्फ व्यापारिक नाम देखकर ही प्रयोग कर रहे है । जबकि इनका प्रयोग इसकी रासायनिक संरचना (केमिकल कंपोजिशन) के हिसाब से होना चाहिए । फसलों पर इसका दुष्प्रभाव तो हो ही रहा है साथ में किसान और बागवानों की जेब को भी भारी चपत लग रही है ।

सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में रुचि रखने वाले लोगों से शिव सिंह खलास्टा अपने अनुभवों से यह कहना चाहते है कि यदि शौक और सटीक जानकारी से इस व्यवसाय को किया जाय तो यह आमदनी का एक प्रमुख जरिया हो सकता है । इस क्षेत्र में कामयाब होने के लिए आज हर तरह के संसाधन हर कीमत पर मौजूद  है । औसतन कोई भी सब्जी 75 दिनों में तैयार हो जाती है, जिसमें प्रति बीघा 18,000-20,000 रुपये तक मुनाफा लिया जा सकता है । इस क्षेत्र मे सब्जियों के पैदावार की बहुत अच्छी संभावनाएं है ।

आगामी समय में हम एक बार फिर से इन्हें कृषि और बागवानी के नये आधुनिक आयामों मे देखेगें ।

टीम औनेन डाट इन

 

 

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