लोभ की इन पोखरों में,
तैरते दिल को संभालो !!
ग़म के सागर से खुशी के,
पंख सब चुनकर निकालो !!
मन की टूटी खिड़कियों पर !
प्रीत के पर्दे लगाना !!
अपने अंदर के तिमिर को !
भोर का सूरज दिखाना !!
आँसुओं की झील से अब,
स्वयं को बाहर निकालो !!
लोभ की इन पोखरों में,
तैरते दिल को संभालो !!……1
गीत मन का हो अगर तो,
कोयलों से बात होगी !
चाँद सा यौवन खिलेगा,
शबनमी जब रात होगी !!
प्यार की हर पांखुरी को,
मन के उपवन में सजालो !
लोभ की इन पोखरों में,
तैरते दिल को संभालो !!……2
क्रोध के तूफ़ान से तुम,
अपनी कश्ती को बचाना !
प्यार की पतवार लेकर,
इस नदी के उस पार जाना !!
भावनाओं की भंवर में,
ज़िन्दगी के ग़म छुपालो !!
लोभ की इन पोखरों में,
तैरते दिल को संभालो !!……
~~कवि समोद चरौरा
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