शिमला मेरी जान, बस रह गए है अरमान !

शहर में बसने वालो ने, अपनी समझ बूझ और माडर्न पढ़ाई से ऐसा बना दिया है शिमला । अभी उन बच्चों का समय नही आया है जिन्हें पढ़ाने के लिए 60 प्रतिशत लोग यहां रह रहे है ।

उनके पास क्या बचा रहेगा ? देव संस्कृति, संस्कार, हिमाचली सादापन, या कोई विचार !

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