सेब पर रंग की स्प्रे करने से पत्ते क्यों झड़ जाते है, सेब बगीचे का प्रबंधन

अक्सर ये देखा गया है कि सेब के फल मे लाल रंग लाने के लिए बागवान इथरल रसायन की स्प्रे करते है । ये एक प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर है । सेब के पेड़ मे पहले से किए गए प्रबंधन के आधार पर कुछ बातें सामने आई है । इस विडियो के माध्यम से हम इस बारे मे कुछ जानकारी साझा कर रहे है । 👇👇💥💥🍏🍏🍎

सेब के फल के अच्छे दाम पाने के लिए बागवान, सेब को समय से पहले परिपक्व बनाने के लिए सेब लगे पौधों पर बगीचों में इथेफ़ोन ( इथरल , प्रमोटर ) का इस्तेमाल करते है । दोस्तो सेब को जल्द से जल्द बाजार में पहुंचाने की होड़ में बागवान सेब के लाल रंग और साइज को बढ़ाने के लिए कलर स्प्रे का इस्तेमाल करते है । ये रसायन सेब को लाल बनाने में मदद तो करता है पर इसके बहुत से कुप्रभाव सामने आने लगे है । आईये जानते है । अगली बार पेड़ पर फसल न लगना । इथरल ,प्रमोटर जैसे रसायनों के इस्तेमाल से बीमे कमजोर हो जाते है और बीमे कमजोर होने के कारण फलो में प्री मेच्योर ड्रापिंग शुरू हो जाती है ।

कलर स्प्रे, जिसका रासायनिक नाम इथरल है । यह एक pgr, plant growth regulator है ।
पौधे पर इसका स्प्रे , इथाइलीन नाम के तत्व को सक्रीय करते है जिससे सेब जल्द मेच्योर हो जाता है ।

सेब की कम भंडारण समय सीमा ।
शोधों से साफ हो चुका है कि इथेफ़ोन जैसे रसायन सेब की शैल्फ लाइफ को कमजोर कर देते है ।

इससे सेब कुछ दिनों के बाद सड़ने लग जाता है 2013 में भी इसका कुप्रभाव बाजार में बहुत देखा गया है कलर स्प्रे वाला सेब दूर की मंडियों में , जैसे चेन्नई ,हैदराबाद, और कलकत्ता पहुंचने पर काला पड़ गया था जिससे बागवानों और व्यापारियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा । इससे सेब के दाम में भारी गिरावट भी बनी रही ।

इथरल या कलर स्प्रे करने से अगले सीजन में बढ़िया सेटिंग के बावजूद ड्रॉपिंग की सम्भवनाये बढ़ जाती है ।

दोस्तो हमने आपको पहले के एक लेख में माइट जैसी बीमारी के बारे में जानकारी दी थी । माइट वाले बगीचे में यदि कलर स्प्रे का छिड़काव किया जाए तो ये भी सेब फल गिरने का एक कारण बन जाता है , क्योकि माइट , वूली एफिड जैसी बीमारियों ने पहले से ही बीम और पत्तियों को कमजोर किया होता है और कलर स्प्रे इसे और ज्यादा कमजोर कर सेब को बहुत जल्द गिरा देता है । कलर स्प्रे के इस्तेमाल के बिना भी हम सेब में रंग और चमक में निखार ल सकते है विभिन्न उर्वरक निर्माता कम्पनियों के 0:0:50 ग्रेड बाजार में उपलब्ध है ,जिसमे पोटाश होती है । पोटाश बायोफोर्म में भी उपलब्ध होती है । सेब तुड़ाई के करीब एक महीने पहले इसके छिड़काव से सेब की रंगत में सुधार आता है ,जबकि केल्शियम ,बायो केल्शियम जैसे उत्पाद रंग और चमक में निखार लाते है ।

इसके छिड़काव से बीमे भी मजबूत बनते है । सेब में ठीक से रंग न आने का कारण अवैज्ञानिक प्रूनिंग है जिससे पौधे के निचले भाग में सूर्य का प्रकाश नही पहुंच पाता । यदि प्रूनिंग और पेड़ की काट छांट इस तरह से की गई हो कि सूरज की रोशनी फल के हर हिस्से को मिले तो रंग न आने या कम आने की समस्या काफी हद तक दूर हो सकती है ।

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