आओ अहं को परे रख दें
आओ अहं को परे रख दें किसी ताक पर। पिघला दें बर्फ जैसे मौन को संवादों की गर्मी से। थोड़ा तुम बढ़ो थोड़ा मैं और पहुंच जाएं वहीं पर…
आओ अहं को परे रख दें किसी ताक पर। पिघला दें बर्फ जैसे मौन को संवादों की गर्मी से। थोड़ा तुम बढ़ो थोड़ा मैं और पहुंच जाएं वहीं पर…
भगवान जी मुझे शिकायत है आपसे क्यों बेज़ुबान पर इंसान अत्याचार करता है होकर अपने स्वार्थ के वश किसी निरीह पर वार करता है विचलित है मन मेरा देख कर…
आज यादों के समंदर में ज्वार आया, घने जंगलों से लिपट कर नैनीताल , निकल बाहर आया। बात है उन दिनों की उम्र थी कोई सोलह सत्रह की। एन…
देखा मैंने उसे , ऐसे ही किसी पथ पर, न कोई राह, न कोई डगर, कभी इधर, कभी उधर, फिर रुका था चलते-चलते, शायद थक गया था। जाने किसका था…
हिन्दुस्तानी माटी को, सनातनी परिपाटी को ! फूलों से ढकना होगा,काश्मीर की घाटी को !! ममतामयी दुशाला को, वर्णों की इस माला को ! जिन्दा रखना ही होगा, देश प्रेम…
.......... मन की सुंदरता है गायब !! गायब मुख से हुई मिठास !! कटु की कटुता हुई चौगुनी !! खट्टे में सौ गुनी खटास !! पंचायत में ऊँच नीच की…