______________ जिनकी महानता धुल जाती है तन पर चिपटे रंगों सी समय की बरसात में, कम से कम उनकी रूह सुकून पाती होगी कब्रो में । वो लोग जो सजीव महानता का लबादा ओढ़ घूमते है जहान में उसके किनारे…
दुधमुंहे बच्चे को छुड़ाकर उसके मुंह से शीशी लगाकर तुम उठ बैठी हो मुंह अंधेरे और दैनिक क्रियाओं से निवृत हो तुमने दे दिया है मुंह चूल्हे में । हां मिट्टी का नहीं गैस आ चूल्हा है मगर चूल्हा तो…
दोस्त वही जो मुसीबत में काम आये दो दोस्त व रीछ की कहानी बहुत छोटे थे जब पापा ने सिखाया था कम समझ आया था खूब अच्छे से रट्टा लगाया था। तब स्वाल नम्बरों का था आज स्वाल जिंदगी का।…
फैसला था दिल का वह दिमाग से कर गया रेत का था महल पल में गिर गया कभी दिल की बात जुबां पर लाई तो होती दोराहे पर चल रहे यह असलियत बताई होती हम हंसकर निसार देते अपनी ख्वाहिशें…
मर कर ही नहीं मिलती मुक्ति शरीर से है ही नहीं मुक्ति का नाता बस! मन का खेल निर्लिप्त रह कर देखना है सब नाटक कहीं कोई प्रतिक्रिया नहीं। निर्देशक की काबिलियत पर कभी कोई शक नहीं कलाकार कितनी शिद्दत…