रमेश और उसकी पत्नी अंजली के “सच्चे अपने”
गांव के एक छोटे से घर में रमेश और उसकी पत्नी अंजलि रहते थे। दोनों साधारण जीवन जीते थे, लेकिन उनके दिल में एक-दूसरे के लिए असीम प्रेम था। रमेश एक किसान था, जो दिनभर खेत में मेहनत करता और अंजलि घर का काम संभालती। उनका जीवन सादगी से भरा हुआ था, लेकिन खुशी और संतोष से भी।
एक दिन रमेश को अचानक फसल खराब होने की खबर मिली। उसकी मेहनत पर पानी फिर गया था। वह मायूस होकर घर लौटा। अंजलि ने उसका चेहरा देखा और तुरंत समझ गई कि वह परेशान है। बिना कुछ पूछे, उसने रमेश के लिए गर्म चाय बनाई और उसे बैठने को कहा।
रमेश ने भारी मन से उसे सब कुछ बताया। उसने कहा, “अंजलि, इस बार कर्ज चुकाना मुश्किल हो जाएगा। मुझे समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं।”
अंजलि ने उसका हाथ थाम लिया और मुस्कुराते हुए बोली, “हमने साथ में इतने सुख देखे हैं, तो यह दुख भी मिलकर सह लेंगे। चिंता मत करो, जब तक हम साथ हैं, हर मुश्किल आसान हो जाएगी।”
अंजलि की बातों ने रमेश के दिल का बोझ हल्का कर दिया। उसे ऐसा लगा जैसे उसके कंधों से बड़ा पत्थर हट गया हो। अगले दिन से दोनों ने मिलकर कुछ नया करने की योजना बनाई। अंजलि ने अपने सिलाई-कढ़ाई के हुनर को काम में लगाकर कपड़े बेचने शुरू किए, और रमेश ने सब्जियां उगाने का फैसला किया।
धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई। फसल भी अच्छी हुई और अंजलि के कपड़े भी लोगों को पसंद आने लगे। दोनों ने मिलकर न केवल कर्ज चुकाया, बल्कि अपनी ज़िंदगी को पहले से बेहतर बना लिया।
रमेश को एहसास हुआ कि जब अंजलि ने उसका हाथ थामा था, उसी पल उसे ताकत मिली थी। उसने कहा, “अंजलि, तुम्हारे साथ बात करने से ही मेरी आधी परेशानियां खत्म हो जाती हैं। सच में, तुम ही मेरी सच्ची अपनी हो। बाकी सब तो बस दुनिया है।”
अंजलि ने मुस्कुराते हुए कहा, “और तुम्हारे साथ होने से मेरी खुशी दोगुनी हो जाती है। यही तो अपने होने का मतलब है।”
सीख:
सच्चे अपने वही होते हैं, जिनके साथ खुशी बांटने पर वह बढ़ जाती है और दुख बांटने पर कम हो जाता है। दुनिया में हर कोई बस राहगीर है, लेकिन जो आपकी हर मुश्किल में आपके साथ खड़ा हो, वही असली अपना है।