“मैं आपके एक दिन का समय खरीदना चाहता हूं। आप मुझे बताएं, इसकी कीमत क्या होगी?”

समय और दौलत का सच

राजा का घमंड
प्राचीन समय की बात है। एक राजा था, जिसका नाम विराट था। उसकी दौलत का कोई हिसाब नहीं था। महल में सोने-चांदी की दीवारें थीं, हाथी-घोड़े की भरमार थी, और सैकड़ों नौकर-चाकर हर समय सेवा में रहते थे। अपने धन पर घमंड करते हुए वह अक्सर कहता, “मेरे पास इतना धन है कि मैं दुनिया की हर चीज़ खरीद सकता हूँ!”

एक दिन, एक वृद्ध संत उसके दरबार में आए। संत ने मुस्कुराते हुए कहा, “महाराज, आपके पास बहुत धन है, लेकिन क्या आपके पास समय है?”

राजा को संत का प्रश्न अजीब लगा। उसने हंसते हुए जवाब दिया, “मेरे पास जितना चाहो समय है। मैं दुनिया का सबसे शक्तिशाली और अमीर व्यक्ति हूं।”
संत ने धीरे से कहा, “अगर ऐसा है तो क्या आप मुझे एक दिन बेच सकते हैं?”
राजा ने चौंकते हुए पूछा, “एक दिन बेचने का क्या मतलब?”
संत ने समझाया, “मैं आपके एक दिन का समय खरीदना चाहता हूं। आप मुझे बताएं, इसकी कीमत क्या होगी?”

समय की कीमत
राजा सोच में पड़ गया। उसने सोचा कि धन तो खर्च किया जा सकता है, लेकिन समय किसी को दिया नहीं जा सकता। उसने गुस्से में कहा, “यह कैसा सवाल है? समय बिकता नहीं है!”
संत ने मुस्कराते हुए कहा, “यही तो मेरा कहना है, महाराज। दौलत आपको समय नहीं दे सकती। समय की कीमत अनमोल है। लेकिन आप इसे यूं ही व्यर्थ कर रहे हैं। धन आता-जाता रहेगा, लेकिन खोया हुआ समय कभी वापस नहीं आएगा।”

राजा का बदलता हृदय
राजा ने संत के शब्दों पर गहराई से विचार किया। उसे अहसास हुआ कि वह अपने जीवन का अधिकतर समय अनावश्यक चीज़ों में बर्बाद कर रहा है। उसने प्रण लिया कि अब वह अपनी दौलत के घमंड में नहीं रहेगा, बल्कि समय को सच्ची संपत्ति मानेगा।

अब राजा अपने लोगों की सेवा करने लगा, ज्ञान अर्जित करने में समय लगाने लगा, और अपनी प्रजा की भलाई में जुट गया। धीरे-धीरे, वह लोगों के दिलों में अमीर बन गया।

शिक्षा

वक्त हमें यह बता सकता है कि हमारे पास कितनी दौलत है, लेकिन दौलत कभी नहीं बता सकती कि हमारे पास कितना वक्त है। इसलिए मन से अमीर बनिए, क्योंकि धन आता-जाता रहता है, लेकिन समय और अच्छे कर्म ही सच्ची संपत्ति हैं।

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