Zakham Gehra ho

जख्म गहरा हो, पर दिखाना तुम्हें है,
खुशी का आलम हो, पर सुनाना तुम्हें है ।
क्या नाम दूं अपनी इस चाहत को,
रूठना भी तुमसे है और मनाना भी तुम्हें है ॥

अज्ञात
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